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रिपोटर-लक्ष्मण बिष्ट
स्थान -लोहाघाट
लगभग पिछले ढाई वर्षो से लोहाघाट के रिसेश्वर मंदिर के बाबा एमके तिवारी उर्फ स्वामी मोहनानंद तीर्थ व प्रहलाद सिंह मेहता के बीच धर्मशाला को लेकर न्यायालय में चल रहे विवाद पर चंपावत न्यायालय के सीनियर सिविल जज हेमंत सिंह राणा ने फैसला सुनाते हुए निम्न आदेश पारित किए हैं विद्वान न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा वादी एम के तिवारी उर्फ स्वामी मोहनानंद का बाद प्रतिवादी प्रहलाद सिंह मेहता के विरुद्ध स्थाई निषेध आज्ञा के अनुतोष हेतु आज्ञप्त्त किया जाता है तथा प्रतिवादी प्रहलाद सिंह मेहता को स्थाई निषेध आज्ञा आदेश द्वारा निषिद्ध किया जाता है कि वे मंदिर परिसर में किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य न करें तथा प्रश्नगत संपत्ति से वादी को बेदखल ना करें
वादी के वाहन को उचित स्थान में जाने की अनुमति प्रदान की जाती है साथ ही एमके तिवारी उर्फ स्वामी मोहनानंद को उक्त मंदिर परिसर की साफ सफाई व पूजा पाठ आदि नियमानुसार किए जाने की अनुमति दी जाती है वही न्यायालय के इस फैसले पर एम के तिवारी उर्फ स्वामी मोहनानंद ने इसे सत्य व न्याय की जीत बताया है उन्होंने कहा धर्मशाला में बरसों से महात्मा रहते हुए आए हैं और आगे भी रहेंगे वही प्रतिवादी प्रहलाद सिंह मेहता ने कहा वह न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं उन्होंने कहा मंदिर में सभी लोग पूजा पाठ कर सकते हैं हमें इस बात से कभी इंकार नहीं था लेकिन न्यायालय ने अपने फैसले में बाबा को कब्जा देने की बात कही नहीं कही है मालूम हो धर्मशाला विवाद के चलते दोनों पक्षों के बीच कई बार विवाद की स्थिति भी पैदा हुई
जिसमें प्रशासन के द्वारा दोनों पक्षों को धारा 107/116 के तहत निषिद्ध भी किया गया था तथा कई बार पुलिस को मामले के बीच में आकर दोनों पक्षों को शांत करवाया गया फिलहाल न्यायालय के फैसले के बाद भी विवाद की स्थिति बनी हुई है प्रशासन स्थिति पर निगाहें बनाए हुए हैं मालूम हो यह प्रकरण लोहाघाट क्षेत्र में काफी चर्चित रहा और लोगों की निगाहें न्यायालय की फैसले पर टिकी हुई थी