जैविक खेती घोटाला: कोटाबाग में किसानों ने उठाई आवाज, इको लाइफ फाउंडेशन और नेचर बायो फूड्स पर गंभीर आरोप

जैविक खेती घोटाला: कोटाबाग में किसानों ने उठाई आवाज, इको लाइफ फाउंडेशन और नेचर बायो फूड्स पर गंभीर आरोप

स्थान – कालाढूंगी।
रिपोर्टर – भगवान मेहरा।

कोटाबाग (नैनीताल), 2 जुलाई। विकासखंड कोटाबाग में जैविक खेती को लेकर एक बड़ा घोटाला सामने आया है। स्थानीय किसानों ने इको लाइफ फाउंडेशन और नेचर बायो फूड्स पर आरोप लगाए हैं कि ये कंपनियाँ बिना वास्तविक जैविक खेती कराए ही धान को ‘ऑर्गेनिक’ घोषित कर विदेशों में निर्यात कर रही हैं।

किसानों का आरोप: “कागज़ों में जैविक खेती, ज़मीनी हकीकत शून्य”

स्थानीय किसान आशीष सिंह का कहना है, “हमसे फार्म भरवाए गए और कहा गया कि आपको जैविक खेती से जोड़ा जाएगा। लेकिन न हमें जैविक खाद दी गई, न कोई प्रशिक्षण मिला। अब पता चला कि हमारे नाम पर धान विदेश भेजा गया है। यह सरासर धोखा है।”

किसानों ने दावा किया है कि फर्जी दस्तावेज़ तैयार कर जैविक प्रमाणपत्र लिए जा रहे हैं, जबकि खेतों में पारंपरिक खेती ही जारी है। इस प्रक्रिया में न तो वैज्ञानिक मानकों का पालन किया गया, न ही कोई निरीक्षण हुआ।

प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग

गंगा बिष्ट, भानु चिममवाल और निधि बिष्ट समेत कई किसानों ने इस पूरे मामले की गहन जांच की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि CSR फंड का भी दुरुपयोग हो रहा है। किसानों के बच्चों की शिक्षा और छात्रवृत्ति के लिए फेडरेट से आया पैसा आज तक छात्रों तक नहीं पहुँचा है।

“कुछ सरकारी स्कूलों को गोद लिया गया था, जहाँ कंप्यूटर कक्षाएं होनी थीं, लेकिन न शिक्षक हैं और न ही कंप्यूटर। पैसा तो आया, लेकिन सुविधाएं कहाँ हैं?” — किसानों का सवाल है।

विशेषज्ञों की चेतावनी: अंतरराष्ट्रीय साख पर खतरा

कृषि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि इन आरोपों की पुष्टि होती है, तो यह न केवल किसानों के हितों के खिलाफ होगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की जैविक उत्पादों की साख को भी गंभीर नुकसान पहुँचा सकता है।

कंपनियों की सफाई

नेचर बायो फूड्स की ओर से वीरेंद्र कुमार ने सफाई दी कि कंपनी द्वारा सभी किसानों का पंजीकरण कराया गया है और इस बार से गेहूं की भी खरीद की जा रही है। उन्होंने कहा, “जो किसान जैविक खेती के नियमों का पालन नहीं करते, उन्हें योजना से बाहर कर दिया जाता है।”

इको लाइफ फाउंडेशन के कोटाबाग अध्यक्ष बहादुर सिंह बजवाल ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा, “कुछ लोग संस्था को बदनाम करने की साज़िश कर रहे हैं। जांच होनी चाहिए, लेकिन आरोप निराधार हैं।”

क्या आगे होगा?

मामला अब जिला प्रशासन की चौखट पर है। यदि जांच शुरू होती है और आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह जैविक खेती योजनाओं और CSR फंडिंग से जुड़ी कई प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल खड़े करेगा।