
स्थान: लोहाघाट (चंपावत)
रिपोर्ट: लक्ष्मण बिष्ट
राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) निर्माण खंड लोहाघाट के अधिशासी अभियंता आशुतोष कुमार के नाम से जारी एक अजीबोगरीब आदेश इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। इस कथित आदेश में विभाग के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को निर्देश दिए गए कि वे 17 मई तक दो-दो मुट्ठी चावल (अक्षत) किसी मंदिर में चढ़ाएं, ताकि गुम हुई सेवा पुस्तिका को देवी-देवताओं की कृपा से खोजा जा सके।


इस निर्देश में उल्लेख किया गया कि सहायक अभियंता जय प्रकाश की सेवा पुस्तिका, अधिष्ठान सहायक की अलमारी से लापता हो गई है और काफी खोजबीन के बावजूद नहीं मिली। इसके चलते अधिशासी अभियंता की ओर से चावल चढ़ाकर धार्मिक माध्यम से समाधान खोजने का आदेश जारी किया गया।


क्या कहते हैं अधिशासी अभियंता?
जब इस आदेश को लेकर सवाल उठे तो अधिशासी अभियंता आशुतोष कुमार ने फोन पर स्पष्ट किया कि:
“यह आदेश मेरी ओर से जारी नहीं किया गया है। किसी ने मेरे नाम से झूठा और फर्जी आदेश प्रसारित किया है।”

प्रशासन ने लिया संज्ञान
इस विवादास्पद आदेश को लेकर मुख्य अभियंता ने गंभीर संज्ञान लेते हुए अधिशासी अभियंता आशुतोष कुमार से तीन दिन में लिखित स्पष्टीकरण मांगा है। मामले की जांच शुरू कर दी गई है और यह भी देखा जा रहा है कि कहीं विभागीय नियमों का उल्लंघन तो नहीं हुआ।
आदेश में यह भी लिखा गया है कि यह कार्य सेवा नियमावली का स्पष्ट उल्लंघन माना जा सकता है।

पृष्ठभूमि और परंपरा
गौरतलब है कि उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में ऐसी आस्थात्मक परंपराएं प्रचलित हैं, जहां चोरी या वस्तु गुम होने की स्थिति में लोग मंदिरों में अक्षत (चावल) चढ़ाकर देवी-देवताओं से न्याय की प्रार्थना करते हैं। लेकिन एक सरकारी विभाग द्वारा ऐसा औपचारिक आदेश देना न केवल असामान्य है बल्कि प्रशासनिक नियमों के खिलाफ भी है।
विवाद का निष्कर्ष
अब सबकी निगाहें मुख्य अभियंता की जांच रिपोर्ट और अधिशासी अभियंता के स्पष्टीकरण पर टिकी हैं। यह मामला एक ओर जहां सरकारी तंत्र में विश्वास और प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, वहीं सामाजिक आस्थाओं और अंधविश्वास के बीच की रेखा को भी उजागर करता है।

