देहरादून की 129 मलिन बस्तियों पर संकट: पूर्व सीएम हरीश रावत ने उठाए सवाल, भाजपा विधायक ने दी सफाई

देहरादून की 129 मलिन बस्तियों पर संकट: पूर्व सीएम हरीश रावत ने उठाए सवाल, भाजपा विधायक ने दी सफाई

स्थान : देहरादून
रिपोर्ट : सचिन कुमार

राजधानी की 129 मलिन बस्तियों पर मंडरा रहे खतरे को लेकर सियासी बयानबाज़ी तेज हो गई है। जहां एक ओर सरकार एनजीटी के आदेशों और एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट का हवाला दे रही है, वहीं विपक्ष इस पर सरकार की मंशा और तैयारी पर सवाल उठा रहा है।

मलिन बस्तियों पर संकट
एनजीटी के दिशा-निर्देशों के बाद देहरादून में एलिवेटेड रोड और रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को लेकर प्रशासन सक्रिय हो गया है। इसके तहत लगभग 3000 से अधिक लोगों को विस्थापित किए जाने की योजना है, जो राजधानी की मलिन बस्तियों में वर्षों से रह रहे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का बयान
इस मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा,

“बिना रिवर फंड के एलिवेटेड रोड बनाना नदी के तट पर उपयोगी नहीं होगा। इससे देहरादून के लोगों का दम और घुटेगा।”
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस पूरे मामले में जल्दबाजी और राजनीति कर रही है
हरीश रावत ने यह भी कहा कि,
“2016 के विधानसभा एक्ट के तहत इन बस्तियों में रहने वाले लोगों को उनका मालिकाना हक दिया जाना चाहिए। लेकिन सरकार एनजीटी का बहाना बनाकर लोगों को उजाड़ रही है।”

भाजपा विधायक विनोद चमोली का पक्ष
वहीं भाजपा विधायक विनोद चमोली ने इस पर सफाई देते हुए कहा,

“यह विषय एनजीटी और एलिवेटेड रोड परियोजना से जुड़ा हुआ है। परियोजना के तहत करीब 3000 लोगों को शिफ्ट किया जाएगा, इसके लिए सरकार योजना बना रही है।”

राजनीति गरमाई
मलिन बस्तियों के मुद्दे ने अब राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। एक ओर जहां स्थानीय निवासी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं, वहीं राजनीतिक दल इसे आगामी चुनावों का प्रमुख मुद्दा बना सकते हैं।

मुद्दे के मुख्य बिंदु:

  • देहरादून की 129 मलिन बस्तियाँ प्रभावित
  • 3000 से अधिक लोगों को विस्थापन की आशंका
  • विपक्ष ने मालिकाना हक का मुद्दा उठाया
  • सरकार ने एनजीटी और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को बताया आधार

यह मुद्दा देहरादून के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य को गहराई से प्रभावित कर सकता है। भविष्य में होने वाली नीतिगत घोषणाएं और जन विरोध इसके स्वरूप को तय करेंगी।