
स्थान : हल्द्वानी
देशव्यापी मजदूर-किसान संघर्ष की तैयारी के तहत 20 मई को होने जा रही अखिल भारतीय आम हड़ताल को सफल बनाने के लिए ट्रेड यूनियन संगठन ACTU (ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स) की एक महत्वपूर्ण बैठक हल्द्वानी स्थित ACTU कार्यालय में आयोजित की गई। बैठक में तय किया गया कि ACTU और भाकपा माले (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) इस हड़ताल में पूरी ताकत के साथ शामिल होंगे। किसान संगठनों ने भी इस हड़ताल को समर्थन देने की घोषणा की है।

बैठक में श्रमिकों के अधिकारों को लेकर केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए गए। वक्ताओं ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में मोदी सरकार ने श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा, अधिकार और सम्मान को तहस-नहस कर दिया है। श्रम कोडों के जरिए मजदूरों को कॉरपोरेट गुलामी की ओर धकेला जा रहा है।

हड़ताल की मुख्य मांगें:
- सभी चार श्रम कोडों को रद्द किया जाए
- अंधाधुंध निजीकरण पर रोक लगाई जाए
- न्यूनतम मासिक मजदूरी ₹41,000 और पेंशन ₹15,000 घोषित हो
- पुरानी पेंशन योजना (OPS) बहाल की जाए
- स्कीम वर्करों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए
- समान काम के लिए समान वेतन सुनिश्चित किया जाए
- मनरेगा की मज़दूरी ₹600 प्रतिदिन और कार्यदिवस 200 किए जाएं
- सार्वजनिक संपत्ति और बुनियादी ढांचे की बिक्री बंद हो
- प्रवासी और असंगठित श्रमिकों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून लागू हों
- तीन आपराधिक कानूनों और ईडीएसए को वापस लिया जाए

अमेरिकी मध्यस्थता का विरोध:
बैठक में भाकपा माले नैनीताल जिला सचिव डॉ. कैलाश पाण्डेय ने भारत-पाक युद्धविराम का स्वागत करते हुए अमेरिका की मध्यस्थता को भारत की संप्रभुता पर खतरा बताया। उन्होंने कहा कि युद्धविराम की घोषणा भारत-पाकिस्तान के बजाय अमेरिका द्वारा की गई, जो बेहद चिंताजनक है। भारत को अमेरिकी दबाव से मुक्त रहकर स्वतंत्र विदेश नीति अपनानी चाहिए।

श्रमिक आंदोलन की ज़रूरत पर ज़ोर:
ACTU जिलाध्यक्ष जोगेंद्र लाल ने कहा कि मोदी सरकार ने अभिव्यक्ति की आज़ादी और असली मीडिया की स्वतंत्रता पर भी हमला किया है। इस जनविरोधी शासन के खिलाफ व्यापक एकता और सशक्त प्रतिरोध ही समय की मांग है।

सनसेरा संगठन का समर्थन:
सनसेरा श्रमिक संगठन के अध्यक्ष दीपक कांडपाल ने भी निजीकरण और कॉरपोरेट हमलों के खिलाफ मज़दूरों से आंदोलन तेज करने की अपील की। उन्होंने कहा कि सरकारी ज़मीन और संपत्ति को औने-पौने दामों पर बेचा जा रहा है, जिसे रोकना जरूरी है।
बैठक में मौजूद प्रमुख नेता:
इस अवसर पर डॉ. कैलाश पाण्डेय, जोगेंद्र लाल, दीपक कांडपाल, धन सिंह गड़िया, मनोज सिंह आर्य, मुकेश जोशी, विवेक ठाकुर, गोकुल कुमार, नवजोत सिंह परिहार, राजेन्द्र पाल सिंह, प्रकाश सिंह कपकोटी, चन्द्र सिंह समेत अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे।

20 मई की हड़ताल को ऐतिहासिक बनाने की रणनीति तय कर दी गई है। यह हड़ताल केवल मज़दूर-किसानों की मांग नहीं, बल्कि लोकतंत्र, संविधान और देश की संप्रभुता की रक्षा का एक निर्णायक अवसर माना जा रहा है।

