
रिपोर्टर : अज़हर मलिक
लोकेशन : काशीपुर
जिस फ्लाईओवर को शहर की ट्रैफिक समस्या के स्थायी समाधान के रूप में देखा जा रहा था, वही आज जनता के लिए सिरदर्द बन गया है। महाराणा प्रताप चौक पर बना यह फ्लाईओवर, जिसे सात साल की लंबी प्रतीक्षा और करीब 56 करोड़ रुपये की लागत से वर्ष 2024 की शुरुआत में जनता को समर्पित किया गया था, अब अपनी गुणवत्ता को लेकर कटघरे में है।


हाल ही में फ्लाईओवर से करीब एक मीटर का मलबा अचानक नीचे गिर गया, जिससे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। गनीमत रही कि घटना के समय नीचे से कोई वाहन नहीं गुजर रहा था, वरना एक बड़ा हादसा हो सकता था।


फ्लाईओवर की हालत और प्रशासन की प्रतिक्रिया
घटना के बाद एनएचएआई के अधिकारी मौके पर पहुंचे और फ्लाईओवर को आंशिक रूप से चालू रखने का फैसला लिया गया।
- हल्के वाहनों को सीमित रूप से गुजरने की अनुमति दी गई है।
- भारी वाहनों के लिए वैकल्पिक रूट तय किए गए हैं, जिनमें मंडी-बैलजूड़ी-गुरुद्वारा होकर मानपुर रोड, और टांडा से शुगर मिल होते हुए चैती चौराहा प्रमुख हैं।
लेकिन जिन वैकल्पिक मार्गों से भारी वाहनों को निकाला जा रहा है, वे स्कूल, धार्मिक स्थलों और आवासीय क्षेत्रों से गुजरते हैं, जिससे दुर्घटनाओं की आशंका बनी हुई है। दिन में नो एंट्री के बावजूद कई वाहन इन मार्गों से गुजर रहे हैं, जिससे जाम, असुविधा और सुरक्षा की चिंता बढ़ गई है।


जनजीवन और कारोबार पर असर
- रोडवेज बस अड्डा लगभग वीरान हो गया है।
- स्थानीय दुकानदारों और व्यापारियों का कारोबार प्रभावित हो रहा है।
- कई इलाकों में घंटों ट्रैफिक जाम आम बात हो गई है।
सियासत भी गरमाई
फ्लाईओवर के निर्माण की गुणवत्ता पर अब राजनीतिक दल भी सवाल उठा रहे हैं।
सपा नेता नदीम अख्तर ने कहा:
“यह फ्लाईओवर लोगों को राहत देने नहीं, मुसीबत में झोंकने के लिए बना है।”
कांग्रेस नेता हरीश कुमार ने बीजेपी पर तीखा हमला करते हुए कहा:
“जिसके पास जितनी समझ थी, उसने उतना हिस्सा इस फ्लाईओवर में दबा दिया। अब न छोटे वाहन सुरक्षित हैं न बड़े।”

बड़ा सवाल: क्या ये फ्लाईओवर भ्रष्टाचार और लापरवाही का नमूना है?
जनता का भरोसा टूटता नजर आ रहा है। करोड़ों की लागत, सालों का इंतजार, और फिर भी ऐसा निर्माण, जो अब जान पर बन आया है।
क्या किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार किया जा रहा है?
सवाल उठ रहे हैं, लेकिन जवाब अब भी अधूरे हैं।
जनता की मांग:
काशीपुर की जनता अब निर्माण एजेंसी, एनएचएआई और स्थानीय प्रशासन से पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग कर रही है।
- दोषियों की पहचान हो।
- निर्माण की गुणवत्ता की उच्च स्तरीय जांच हो।
- और सबसे महत्वपूर्ण, जनता की सुरक्षा के लिए ठोस और शीघ्र कदम उठाए जाएं।

