बिना बीमा दौड़ रहे निकायों के वाहन, हादसे की स्थिति में कौन होगा जिम्मेदार?

बिना बीमा दौड़ रहे निकायों के वाहन, हादसे की स्थिति में कौन होगा जिम्मेदार?

स्थान:- दिनेशपुर
रिपोर्टर:- अजय कुमार

स्थानीय निकायों के वाहन बिना बीमा के दौड़ रहे हैं। सरकारी विभाग होने के कारण इनका रजिस्ट्रेशन तो नि:शुल्क हो जाता है। लेकिन बीमा कराने के नाम पर निकाय प्रबंधन पूरी तरह लापरवाही कर जाता है। ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि यदि इन वाहनों से कोई दुघर्टना हो जाये तो पीड़ित को क्लेम कहां से मिलेगा।


शासनादेश के अनुसार प्रत्येक सरकारी वाहन का पंजीकरण आरटीओ से नि:शुल्क होता है। कोई रजिस्ट्रेशन शुल्क नहीं लिया जाता। लेकिन सरकारी नंबर पर जारी इन वाहनों का पंजीकरण करने में विभाग इतना दयावान हो जाता है कि बीमे के जरूरी नियम को भी दरकिनार कर देता है और फिर इन वाहनों की सड़कों पर फिटनेस या बीमा आदि की जांच भी नहीं होती है।

दीपक कुमार शर्मा ( अधिशाषी अधिकारी नगर पंचायत दिनेशपुर)

यदि निकाय अपने वाहनों का बीमा कराए तो वह व्यावसायिक वाहन के तौर पर होगा। ऐसे में औसतन एक वाहन का बीमा एक वर्ष के लिए लगभग बीस हजार रुपये में होगा। ऐसे में स्थानीय निकाय के वाहनों का प्रति वर्ष बीमा कराने के लिए करीब 7 करोड़ रुपयों की जरूरत होगी। जिसे बचाने के लिए निकाय वाहनों का बीमा नहीं होता।


कौन देगा क्लेम।
यदि नगर निगम के इन वाहनों से कोई दुघर्टना होती है और इसमें जनता या विभाग के व्यक्ति को क्षति पहुंचती है तो इसका जवाब किसी के पास नहीं है कि उसका क्लेम कौन और किस मद से देगा। क्योंकि एक भी वाहन का बीमा नहीं है। सोचनीय विषय ? यह समस्या एक छोटे से कस्बे दिनेशपुर की हैं ना जान जिले में कितने वाहनों का बीमा फिटनेस नही हुआ होगा, और ना जाने पूरे प्रदेश में कितने वाहन और होंगे ?