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रिपोट – संजय जोशी
स्थान – हल्द्वानी
आर्य समाज हल्द्वानी के 133वें वार्षिकोत्सव का प्रारम्भ प्रातःकालीन यज्ञ के साथ हुआ, यज्ञ के ब्रह्मा वैदिक विद्वान अजमेर से पधारे डॉ वेदपाल आचार्य जी ने कहा कि संसार के सभी प्राणी सुख चाहते हैं और सुख की कामना से ही कर्म व व्यवहार करते हैं परंतु साथ में दुख भी मिलते हैं,

इनका कारण क्या है? इनका एक ही कारण है कि मनुष्य मन में कुछ सोचता है वाणी में कुछ लाता है और कर्म में कुछ और ही करता है । इस कारण से उसका यज्ञमय जीवन नहीं बनता जीवन यज्ञमय बन जाने पर स्वाहा की भावना का विकास होता है, और जो स्वाहा यज्ञ की आत्मा है वह मनुष्य को मनसा वाचा कर्मणा एक जैसा बनाती है, आज हम बड़े-बड़े यज्ञ तो करते हैं परंतु जीवन को यज्ञमय नहीं बना पाए, यही कारण है की चाहते हुए भी सुख नहीं मिलता

और ना चाहते हुए भी दुख मिलते हैं।आचार्य वेदपाल जी ने वेद मंत्र के माध्यम से जीवन को यज्ञमय बनाने का संदेश दिया। इस अवसर पर अमृतसर से पधारे अंतरराष्ट्रीय भजनोपदेशक पंडित दिनेश पथिक जी ने अपने भजनों के माध्यम से संगीत की स्वर लहरी प्रवाहित की, जिसमें अनेक प्रभु भक्ति गीत एवं जीवन निर्माण के संदेश देने वाले बुराइयों को दूर करने वाले भजन प्रस्तुत किए,
यज्ञ की शुरुआत पांच बेदियों पर नगर के प्रतिष्ठित यजमानों ने की, जिसमें 20 जोड़ों ने वेद मन्त्रों से आहुतियां दी,प्रो. डॉक्टर विनय खुल्लर, ममता,श्री हरिश्चंद्र पंत, श्री संतोष कश्मीरा, विनोद आर्य , सोबरन शर्मा मुनेश आर्य शोभित वर्मा, नवीन आर्य श्री चंदन राम श्री प्रकाश जोशी, मनजीत बलिया भुवन चन्द्र अधिकारी,

अनुज कांत खंडेलवाल श्री हरिप्रसाद आर्य श्रीमती कांता विनायक,पूनम आर्य श्रीमती कृष्णा आर्य श्री प्रमोद बक्शी जितेंद्र साहनी आदि अनेक यजमानों ने श्रद्धा सहित भाग लिया यज्ञ के आचार्य एवं आर्यसमाज के प्रधान प्रोफेसर विनय विद्यालंकार एवं, विनोद आर्य ने समस्त यजमानों को आशीर्वाद प्रदान किया ।

यज्ञ की व्यवस्था में राजकुमार राजोरिया, ललित जोशी, उमेश तिवारी, सुरेश तिवारी, हेमंत कांडपाल एवं संतोष भट्ट आदि ने सहयोग प्रदान किया।

