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रिपोर्ट,,- संजय कुंवर
स्थान -,जोशीमठ
धार्मिक तीर्थाटन और पर्यटन नगरी जोशीमठ में आद्य जगद्गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित पौराणिक ज्योतेश्वर महादेव जी के कपाट एक मास तक के लिए पूरे वैदिक विधि.विधान के साथ बंद कर दिए गए।दरअसल आज से लगभग 2500 वर्ष पूर्व सुदूर केरल के कालडी नाम के ग्राम से गढ़वाल हिमालय के बद्रिका आश्रम ज्योतिर्मठ पधारे एक छोटे से बालक शंकर ने ज्योतिर्मठ की इस पावन भूमि पर स्थित अमर कल्पवृक्ष की छांव में दिव्यता से भरपूर आत्म ज्योति के अलौकिक दर्शन किये थे,

और प्रस्थान त्रयी विषय पर भाष्य की रचना की थी, यही नहीं इसी स्थान पर उन्होंने भगवान भोलेनाथ की भी स्थापना की थी। जिन्हें आज भी ज्योतेश्वर महादेव के रूप में क्षेत्रवासी सहित पूरे भारत के लोग जलाभिषेक व पूजन के लिए जोशीमठ पहुंचते हैं, हर वर्ष संक्रान्ति से मास परिवर्तन के नियम को मानने के अनुसार आज जब माघ मास की संक्रान्ति पर्व आया

तो परंपराओं के निर्वाहन के साथ भगवान ज्योतिरीश्वर महादेव की सबसे पहले प्रातः सविधि पूजा सम्पन्न हुई, जिसके बाद हरियाली श्रृंगार और घृत लेपन प्रक्रिया संपादित हुई,जय भोले नाथ ज्योतेश्वर महादेव के जयकारे के साथ अंत में माघ मास पर्यन्त के लिए इस पौराणिक शिव मन्दिर परिसर के कपाट को एक माह के लिए बन्द कर दिया गया।अब पुनः फाल्गुन की संक्रान्ति तिथि मे मन्दिर के कपाट खोले जाएंगे

।पौराणिक लोक मान्यता के अनुसार आज माता पार्वती अपने पिता के घर चली जाती हैं जिसके बाद भगवान भोलेनाथ भी इस एक माह में पाताल लोक में जाकर महाराज बलि को अमर कथा सुनाते हैं । इसी लोक प्रचलन और लोक परंपरा के निर्वाहन बावत आज उत्तराखंड की सभी माताएं अपने.अपने पिता के घर चली जाती हैं संक्रान्ति के उत्सव को मनाने के लिए, आज भी इसी परम्परा का निर्वाहन हो रहा है,इस दौरान भक्तों की काफी भीड़ नजर आई, वहीं मुख्य पुजारी आचार्य गणेश उनियाल ने कपाट बंद होने से पूर्व की सभी वैदिक पूजाएं संपन्न की, कपाट बंद होने से पूर्व स्थानीय लोगों ने मंदिर में पहुंच

कर जला भिषेक के साथ भगवान शिव की विशेष आरती में भाग लिया और छेत्र की खुश हाली और समृद्धि के साथ साथ भगवान शिव से छेत्र में अच्छी बर्फबारी होने को मनौती भी मांगी है, अबभगवान ज्योतेश्वर महादेव के कपाट एक माह बाद फाल्गुन सक्रांति की तिथि को विधि विधान पूर्वक भक्तो के लिए खोले जायेंगे,

