उत्तरकाशी यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सुरंग हादसे पर क्या बोले भू वैज्ञानिक

उत्तरकाशी यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सुरंग हादसे पर क्या बोले भू वैज्ञानिक

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रिपोट- शहजाद अली

स्थान -हरिद्वार

उत्तरकाशी यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सुरंग हादसे के बाद चल रहे प्रोजेक्ट पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं जहां उत्तराखंड के मुख्यमंत्री सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी मौके पर जाकर स्थलीय निरीक्षण किया और रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी लाने को कहा तो वहीं अब उत्तराखंड में चल रहे कई हैवी प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिरकार उत्तराखंड के पहाड़ों पर ऐसे प्रोजेक्ट सुरक्षित भी है कि नहीं इसी पर चर्चा करने के लिए हरिद्वार के भू विज्ञान बी डी जोशी से वार्तालाप की और उनसे जाना कि आखिर उनका इस हादसे को लेकर क्या मानना है और उत्तराखंड में आने वाले समय में चल रहे हैवी प्रोजेक्ट से कितना असर होने वाला है।

जब हरिद्वार के भू वैज्ञानिक बी डी जोशी से बात की आखिर उन्हें इस हादसे के पीछे क्या वजह लगती है तो उन्होंने बताया कि यह हादसा कोई आश्चर्यजनक हादसा नहीं है उनके अनुसार उन्हें पहले से ही अंदाजा था कि कोई ना कोई हादसा अवश्य पहाड़ों से छेड़छाड़ करने के दौरान होगा उन्होंने बताया कि इसके पीछे वजह उत्तराखंड के पहाडो की युवा अवस्था है उनकी आयु अन्य राज्यों के पहाड़ों के मुकाबले कम है इतना ही नहीं उत्तराखंड के क्लाइमेट में भी अन्य राज्यों के अनुसार काफी चेंज है यहां पर बारिश बर्फ और धूप जैसे मौसम लगातार बने रहते हैं और इन पहाड़ों पर पहले की अपेक्षा से ज्यादा अब लोगो की आवाज आई भी शुरू हुई है उत्तराखंड के पहाड़ अभी भी सही तरह से स्थिर नहीं हो पाए हैं यही वजह है कि इस तरह के हादसे से हो रहे हैं।वही जब इस हादसे को लेकर कहां चूक हुई इस विषय पर बीडी जोशी से वार्तालाप की गई तो उन्होंने बताया

कि किसी भी कार्य को करने से पहले कई तरह के प्लान और कई तरह के उस प्रोजेक्ट पर वर्क करने होते हैं जिसमें यह भी देखना होता है कि जहां हमारे द्वारा इस तरह की टनल बनाई जा रही है वह पहाड़ उस टनल के अनुसार है भी या नहीं वहां की मिट्टी और उस पहाड़ की क्रियाएं किस तरह की है यह भी अध्ययन करना अति आवश्यक है इसी के साथ जियोलॉजिकल स्टेबिलिटी कितनी है पहाड़ की मिट्टी कितनी लूज है या टाइट है यह जानना भी अति आवश्यक है जब टनल का कार्य शुरू होता है तो पहाड़ पर चल रहे वॉटर रिसोर्सेस सिस्टम का दवाब भी पहाड़ पर पड़ता है वहीं टनल निर्माण के लिए जो मिट्टी व पदार्थ उपयोग किया जा रहे हैं वह किसी नदी या फिर इस पहाड़ के तो नहीं है यह भी जानना अति आवश्यक है। इसी के साथ पहाड़ के अनुरूप ही टनल का आकार व स्वरूप होना चाहिए।इस हादसे पर बोलते हुए बीड़ी जोशी ने कहा कि हमें यह जानना अति आवश्यक होगा कि हमारी चूक कहां पर हुई है क्या जिओ टेक्निकल लेवल पर कोई भूल इस हादसे में हुई है या फिर अनुभवी भूल या वर्तमान समय में अचानक भु बदलाव इस कारण का जानना अति आवश्यक है।

वही उत्तराखंड में चल रहे हैं हैवी प्रोजेक्ट्स पर बोलते हुए प्रोफेसर डॉ बी डी जोशी ने बताया कि उत्तराखंड में चल रहे हैं हैवी प्रोजेक्ट से इस तरह की घटनाएं और अत्यधिक होने की अभी भी संभावना है क्योंकि जिस तरह के उत्तराखंड के मौसम में बदलाव देखे जा रहे हैं उसका मूल कारण है हिमालय का क्षेत्र बहुत ज्यादा सेंसिटिव है भूस्खलन की दृष्टि हो या फिर भू गर्मी या फिर अर्थक्वेक की दृष्टि से यही कारण है कि उत्तराखंड मैं आने वाले समय में चल रहे हैवी प्रोजेक्ट पर और इस तरह की घटनाएं देखी जा सकती हैं।