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रिपोर्टर- ब्यूरो रिपोर्ट
स्थान-देहरादून
राज्य में गरीब परिवार के बच्चों को प्राइवेट स्कूल की तर्ज पर सरकारी स्कूल में बेहतर शिक्षा देने के लिए साल 2021 में शुरू हुए, “अटल उत्कृष्ट स्कूल” अब क्या बंद होने की कगार पर हैं? भाजपा की पूर्व त्रिवेंद्र रावत सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा। “अटल उत्कृष्ट स्कूल” इसलिए बनाये गए थे कि गरीब परिवार और पहाड़ के ग्रामीण बच्चों को प्राइवेट स्कूलों की तरह सीबीएसई बोर्ड से स्कूल मिल सकें। जिसके लिए राज्य के करीब 189 स्कूलों को चिह्नित कर उन्हें सीबीएसई बोर्ड से जोड़ा गया था। जिसकी साल 2021-22 के सत्र से शुरुआत कर दी गई थी।हालांकि इस प्रयोग पर दो साल बाद ही अब संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं। बता दें कि अभी हाल में राजकीय शिक्षक संघ ने अटल स्कूलों को सीबीएसई से हटाकर वापस उत्तराखंड बोर्ड में जोड़ने की मांग शुरू कर दी है।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम सिंह चौहान और महामंत्री रमेश चंद्र पैन्यूली ने बताया कि अटल स्कूलों की वजह से दोहरी व्यवस्था लागू है। यदि पढ़ाई का माध्यम अंग्रेजी ही रखना है तो उत्तराखंड बोर्ड से भी इसे लागू किया जा सकता है। इस वर्ष सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में अटल उत्कृष्ट स्कूलों का प्रदर्शन बहुत ही कमजोर रहा था।वहीं शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने अटल स्कूलों को सीबीएसई से वापस उत्तराखंड बोर्ड में लाने की बात साफ तौर से नहीं की है। लेकिन इससे इनकार भी नहीं किया है। क्योंकि सीबीएसई बोर्ड परीक्षाओं में कमजोर प्रदर्शन और शिक्षक संघ के विरोध के चलते इन आशंकाओं को अब बल मिल रहा है।पूर्व की त्रिवेंद्र सरकार ने पहाड़ में बेहतर शिक्षा और पलायन को रोकने के लिए अटल स्कूल की शुरुआत की थी। ताकि अभिभावक अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा देने के लिए शहर ओर नहीं जाए।
क्योंकि आम अभिभावक ही नहीं है, बल्कि अधिकांश शिक्षक भी सरकारी स्कूलों में पर्याप्त संसाधनों के अभाव के कारण अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में ही पढ़ाने की दिलचस्पी देते हैं। इसे देखते हुए राज्य के करीब 189 स्कूलों को चुनकर उन्हें सीबीएसई बोर्ड जोड़ा गया था।सरकारी स्कूलों को सीबीएसई बोर्ड में आया देख इन स्कूलों में छात्र संख्या भी बढ़ गई थी। जहां प्राइवेट स्कूलों में फीस, ड्रेस के नाम पर अधिक आर्थिक बोझ डाला जाता है। वहां अटल स्कूल में पूरा खर्च सरकार ही उठाती है