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रिपोर्टर- दीपक नौटियाल
स्थान- उत्तरकाशी

यूं तो देव भूमी उत्तराखंड मे कही पर्यटक स्थल हैं पर आज हम ले चलते है आपको सहस्त्र ताल जहां से पांडव जीवित ही स्वर्ग गये थे ओर आज भी मान्यता है कि अगर कोई भी व्यक्ति अपने पूर्वजो की फोटो यहां रखता है तो उनको स्वर्ग मे स्थान मिलता है साथ ही यहां पहुंचने वाला व्यक्ति अपने लिए पत्थरों से घर बनाता है जिसके पिछे मान्यता है कि अगर यहां जगह बना ली तो स्वर्ग मे स्थान पक्का है चललिए आपको लिए चलते है इस स्वर्ग की सैर पर.

सहस्त्र ताल सहस्त्र ताल का विवरण⬇️
ऋषिकेश से कमद मार्केट 130 किलोमीटर है ऋषिकेश कमद ठान्ड़ी-कमद गांव से सहस्त्रताल तक प्राकृतिक सुन्दरता का अद्भुत सफर सहस्त्रताल गढ़वाल मंडल का सबसे बडा ओर सबसे गहरा ताल है उतराखण्ड में खतलिंग ग्लेशियर के पश्चिम में स्थित झीलों का समूह है, जो उतरकाशी व टिहरी जिले की सीमा पर स्थितहै सहस्त्रताल का शाब्दिक अर्थ- अनेकों ताल से है, जहां एक के बाद एक ताल दिखाई देते है जिनकी संख्या अनुमानित 1000 बतायी जाती है. सहस्त्र ताल (दर्सनी ताल) से जो नदी निकलती उसका नाम पिलन्गना नदी है ये नदी उत्तरकाशी जिले के मल्ला ग्राम मे गंगा जी के साथ मिल जाती है ।। दुसरी नदी दर्सनी ताल से 200 मीटर ऊपर टॉप पर चड़नी के बाद 100 मीटर नीचे उतर कर 3 ओर ताल है जिनका नाम मत्री ताल है यहा से भिलन्गना नदी निकलती है जो गुत्तू से हो कर पुरानी टिहरी गणेश प्रयाग में गंगा जी के साथ मिल जाती है ॥ केदार खण्ड मे सहस्त्र ताल का बिबरण मिलता है जिसमे सहस्त्रताल को देवी का स्थान लिखा हुआ है जिनका नाम इस प्रकार है 1,छन्द मस्ता 2,बगुला मुखी , सहस्त्रताल हिमाच्छादित व दुर्लभ क्षेत्र होने के कारण अब तक केवल 8 तालों की ही पहचान हो पायी है जिनके नाम इस प्रकार है –
(1) द्रोपति ताल
(2) लम्ब तालू
(3)लिन्ग ताल
(4) परी ताल
(5) नरसिंग ताल
(6)भींम ताल
(7) दर्सनी ताल
(8) मंत्री जो 3 ताल एक साथ है 3 तालो का नाम भी मंत्री ताल के नाम से ही जाने जाते है॥ सहस्त्र ताल,कुकली टॉप और क्यारकी बुगयाल ।

सहस्त्रताल ट्रेक :- उत्तरकाशी जिले के ठान्ड़ी कमद गॉव से सहस्त्रताल की यात्रा शुरू होती है, जो कुल 45 कि,मी एक तरफ का पैदल मार्ग है सहस्त्रताल के रास्ते मे ऊंचे पहाडों, घने जंगलों, बुग्यालों, फूलों की घाटियां व नदी झरने भेड़ बकरी • प्राचीन मान्यताओं वाले स्थानों से होते हुए सहस्त्रताल तक का पूर्ण रोमांच से भरपूर पैदल यात्रा है, कमद से ज्यादा प्रचलित व लोकप्रिय और कम चड़ाई वाला ट्रैक कमद वाला रास्ता माना जाता है क्योंकि इस ट्रेक पर जौरई बुग्याल का 6 km लम्बा मैंदान आता है ।। गाँव के लोकल लोगो को 5- दिन और बहार से आये हुए यात्रियों को 8 दिन लगता है जिसके मध्य पडने वाले कुछ प्रमुख व प्रसिद्ध स्थल है जिनकी अपनी कुछ स्थानीय व कुछ धार्मिक मान्यताएं है जिस वजह से यह स्थान पूजनीय व प्राकृतिक सुन्दरता से देखने योग्य बन जाता है कहाँ से आए और कैसे आए
दिल्ली से ऋषिकेश बस या ट्रेन से ऋषिकेश 226 km .

ऋषिकेश से कमद 130 कलोमीटर बस से और कमद से सहस्त्रताल 45 km पैदल यात्रा जो अदभुत अकल्पनीय अद्वितीय प्राकृतिक सौन्दर्य व रोमांच से भरपूर एक सुखद सहासिक व धार्मिक यात्रा का ट्रैक है,

