सुशीला तिवारी अस्पताल में लापरवाही का आलम, सरकार के दावों की खुली पोल देखिए विडिओ

सुशीला तिवारी अस्पताल में लापरवाही का आलम, सरकार के दावों की खुली पोल देखिए विडिओ

रिपोर्टर : पंकज सक्सेना
स्थान : हल्द्वानी

उत्तराखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री भले ही लगातार यह दावा कर रहे हों कि राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं सुधर रही हैं और आमजन को बेहतर इलाज मुहैया कराया जा रहा है, लेकिन हल्द्वानी स्थित सूबे के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सुशीला तिवारी अस्पताल से आई तस्वीरें और हालात इन दावों की पोल खोलते नज़र आ रहे हैं।

अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड से मिली जानकारी के मुताबिक, गंभीर मरीजों को बेड पर ही खून और ग्लूकोज चढ़ाया जा रहा है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि न तो कोई नर्स मौजूद है, न फार्मासिस्ट और न ही कोई वार्ड बॉय। ऐसे में मरीजों के तीमारदारों को ही स्ट्रेचर खींचकर सीटी स्कैन और एक्स-रे करवाने के लिए खुद मशक्कत करनी पड़ रही है।

एक तीमारदार ने रोते हुए कहा, “मरीज की हालत बहुत खराब थी, लेकिन कोई मदद करने वाला नहीं था। हमें खुद ही स्ट्रेचर पर मरीज को इधर-उधर ले जाना पड़ा।”

प्रशासन की खामोशी और जवाबदेही पर सवाल

यह हाल तब है जब यह अस्पताल कुमाऊं का सबसे बड़ा सरकारी मेडिकल सेंटर माना जाता है। सवाल उठता है कि अगर इस तरह की लापरवाही के चलते किसी मरीज की जान चली जाती है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?

सरकार द्वारा ‘बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं’ की बातें भले ही कागज़ों पर अच्छी दिखें, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि अस्पतालों में न पर्याप्त स्टाफ है, न सुविधाएं, और न ही कोई निगरानी व्यवस्था।

राजनीतिक प्रतिक्रिया का इंतजार

इस मुद्दे पर विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने सरकार की कड़ी आलोचना की है। वहीं अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि स्वास्थ्य मंत्री इस गंभीर चूक पर क्या सफाई देते हैं और कब तक हालात सुधरने की उम्मीद की जा सकती है।