रिपोर्ट :नवीन यादव
उत्तराखंड के परम्परागत फसलों एवं भोजन के उत्सव गढ़ भोज दिवस को उत्तराखंड के स्कूल, कालेजों, मेडिकल कॉलेज में वृहद रूप से मनाया गया गढ़ भोज दिवस का मुख्य कार्यक्रम राजकीय बालिका इंटर कॉलेज राजपुर रोड में मनाया गया हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी, तत्व फाउंडेशन, आगाज फेडरेशन एवं पर्वतीय विकास शोध केंद्र के द्वारा आयोजित किया गया
इस बार राज्य सरकार के द्वारा स्कूल, कालेजों, स्वास्थ्य विभाग एवं विश्वविद्यालय को पत्र जारी कर अनिवार्य रूप से गढ़ भोज दिवस मनाने के निर्देश जारी किए गए थे
गढ़ भोज दिवस के मुख्य कार्यक्रम का शुभारंभ शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया अपने संबोधन में कहा की कोदा, झंगोरा, कोणी जैसे मोटे अनाज आज भारत ही नहीं पूरे विश्व में जाना जाने लगा है जिसे कभी गरीबों का खाना माना जाता था उत्तराखंड के परम्परागत भोजन को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए गढ़ भोज अभियान के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने अद्वितीय कार्य किया इनके द्वारा शुरू किया गया अभियान आज पूरे देश में सराह जा रहा है
उन्होंने कहा की गढ़ भोज अभियान की वजह से ही गरीबों का अनाज माना जाने वाले श्री अन्ना को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है साथ ही किसानों में भी जागरूकता बढ़ी है
उत्तराखंड के संदर्भ में पर्यटन और तीर्थाटन के बाद गढ़ भोज के रूप में मोटे अनाज हमारी आर्थिकी का बड़ा हिस्सा बन रहा है जिससे हजारों परिवारों को रोजगार मिल रहा है
गढ़ भोज दिवस के आयोजन के बाद से संपूर्ण उत्तराखंड में मोटे अनाजों से बनाने वाले भोजन की धूम मची है, गढ़ भोज ने अपनी पहचान कायम की है
आने वाले समय में राज्य भर में गढ़ भोज की किसकी कितनी जानकारी है, उसको लेकर निबंध प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी साथ गढ़ भोज दिवस को हर वर्ष मनाया जायेगा।