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रिपोर्ट – कान्ता पाल
स्थान -नैनीताल
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के वनरावत और वनराजि जनजाति समुदाय के अस्तित्व में खतरे को लेकर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ में आज समाज कल्याण विभाग के निदेशक कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए।
सुनवाई के बाद कोर्ट की खण्डपीठ ने राज्य सरकार ,केंद्र सरकार व राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिए हैं कि वे दो सप्ताह के भीतर राज्य व केंद्र सरकार द्वारा योजित इनके उत्थान के लिए के उत्तराखंड स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी की ओर जारी निर्देशों पर अमल करें। जबकि सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कोर्ट को अवगत कराया गया
कि सरकार बुनियादी सुविधायें मुहैया करा रही है। कोर्ट ने मामले में समाज कल्याण विभाग से 2 सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है।आपको बता दे कि उत्तराखंड स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी की ओर से इस मामले में जनहित याचिका दायर की गई है। जनहित याचिका में कहा गया
किउत्तराखंड में वन रावत व वन राजि जनजाति का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है। इस जनजाति की जनसंख्या लगातार घटती जा रही है। जिसकी वर्तमान जनसंख्या सिमट कर अब लगभग 900 रह गयी है। इस जनजाति के लोगों के पास बुनियादी सुविधायें तक अब नही रही है। इनके स्वास्थ्य, शिक्षा और रहने खाने के लिये कोई उचित प्रबंध नहीं है। जिसके चलते यह जनजाति विलुप्ति के कगार पर पहुँच गयी है।
सरकार इस जनजाति के वजूद को बनाये रखने के लिये कोई ठोस योजना नहीं बना रही है। जनहीत याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई कि सरकार उनके अस्तित्व को बचाये रखने के आज हुई लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएं।