पेन्टिंग के जरिए गढ़वाल की विलुप्त होती संस्कृति को बचाने में लगे शिक्षक

पेन्टिंग के जरिए गढ़वाल की विलुप्त होती संस्कृति को बचाने में लगे शिक्षक

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रिपोर्ट – दीपक नौटियाल

स्थान -उत्तरकाशी

गढ़वाल जौनसार एवं कुमाऊं की विलुप्त हो रही पौराणिक परंपरा जो कि अब केवल कागजों तक ही सीमित रह गयी थी आज उस संस्कृति के दीदार आपको करने है तो चले आये उत्तरकाशी जहां एक शिक्षक अपनी पेन्टिगस इस संस्कृति को जीवित कर रहे हैं

जनपद मुख्यालय में पहली आर्ट गैलरी खोलकर यहां स्थानीय स्कूलों के बच्चों को भी निशुल्क पेंटिंग सिखा रहे हैं शिक्षक संजय शाह का कहना है कि हमारी पौराणिक संस्कृति पहनावा जो कि आधुनिकता की आड़ में लगभग विलुप्त हो गया है

ओर सायद आने वाली पीढ़ी के लिए यह केवल एक सपना ही हो इसी से प्रेरित होकर वह अपनी पेन्टिगस से इसे बचाने का कार्य कर रहे हैं

और जनपद में आनेवाले तीर्थ यात्री भी इस आर्ट गैलरी में आकर यहां की संस्कृति का दीदार कर रहे हैं वहीं यहां के छोटे-छोटे बच्चे मोबाईल छोड़कर यहां रंगीन सपनों का इन्द्र धनुष बना रहे हैं