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रिपोटर -पंकज सक्सेना
स्थान -हल्द्वानी
क्या पहाड़ और क्या मैदान, इस साल के 6 महीनों में कुमाऊं में ऐसा एक भी दिन नहीं गुजरा जब महिलाओं और लड़कियों से छेड़छाड़ की घटनाएं न हुई हों। बात सिर्फ छेड़छाड़ की भी नहीं, यहां तो हर माह दो बहुओं को दहेज के लिए मार दिया जाता है। ये हाल तब है जब सरकार और निचले स्तर पर पुलिस महिला सुरक्षा के लिए भारी-भरकम बजट खर्च करती है, लेकिन ये सिलसिला रुकने के बजाय बढ़ता ही जा रहा हैपुलिस रजिस्टर में दर्ज आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो कुमाऊं में इस साल जून तक 14 महिला की दहेज की लिए हत्या की गई। यानी हर माह दहेज के लिए दो हत्याएं की गईं। जबकि वर्ष 2022 के 12 महीनों में 22 हत्याएं हुईं और वर्ष 2021 में 18 दहेज हत्या के मामले दर्ज किए गए। अन्य अपराधों की तरह दहेज हत्या के मामले में भी ऊधमसिंहनगर में सबसे ज्यादा है। चम्पावत इकलौता ऐसा जिला है,
जहां दहेज हत्या के इस साल एक भी मामला सामने नहीं आया। बाकी कुमाऊं का एक भी जिला ऐसा नहीं है, जहां दहेज के लिए हत्या न की गई हो। हालांकि इन मामलों में न्यायालय का अंतिम फैसला आना अभी बाकी है।सिर्फ दहेज हत्या ही नहीं कुमाऊं में छेड़छाड़ की घटनाएं भी लगातार बढ़ रही हैं और ऊधमसिंहनगर इस मामले में भी अन्य जिलों से कहीं आगे है। इस साल जून तक ऊधमसिंहनगर में छेड़छाड़ की 69 घटनाएं हुईं और ये चिंता की बात है। जबकि पिछले साल के 12 महीनों में यहां 14 और वर्ष 2021 में 12 घटनाएं हुई थीं। महिलाओं के प्रति हो रहे अपराध में यहां लगातार इजाफा हो रहा है। छेड़छाड़ के मामलों में नैनीताल जिला भी ऊधमसिंहनगर से पीछे नहीं है। यहां इस साल जून तक छेड़छाड़ के 57 मामले सामने आ चुके हैं। जबकि पिछले साल के 12 महीनों में छेड़छाड़ की 61 घटनाएं हुई थीं।
कुमाऊं में पिछले तीन सालों में दहेज हत्या की तस्वीर
वर्ष नैनीताल अल्मोड़ा पिथौरागढ़ बागेश्वर चम्पावत यूडीएन
2023 02 01 02 01 00 08
2022 05 00 02 01 00 14
2021 02 00 01 01 02 12
पिछले तीन सालों में इस तरह से बढ़ीं छेड़छाड़ की घटनाएं
वर्ष नैनीताल अल्मोड़ा पिथौरागढ़ बागेश्वर चम्पावत यूडीएन
2023 57 12 15 03 09 69
2022 61 06 15 02 02 74
2021 67 07 10 03 02 71
6 महीनों में हो गए 12 महीनों के बराबर वारदातें
हल्द्वानी : न जागरुकता काम आ रही है और न ही कानून की धराओं का जुर्म करने वालों पर खौफ नजर आता है। इसकी गवाही भी खुद पुलिस के आंकड़े देते हैं। आलम यह है कि महिलाओं के जितनी घटनाएं वर्ष 2022 और वर्ष 2021 में हुई थीं, उतनी घटनाएं वर्ष 2023 के 6 माह में हो गईं। वर्ष 2021 में जहां महिलाओं के खिलाफ 2948 अपराध दर्ज किए गए वहीं 2022 में यह आंकड़ा बढ़ कर 3092 हो गया। जबकि वर्ष 2023 के 6 महीनों में यह संख्या 3035 तक पहुंच गई। जबकि वर्ष 2023 के 6 महीनों का रिकार्ड सामने आना अभी बाकी है।