नौसेना ने की मां की अनदेखी

नौसेना ने की मां की अनदेखी

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रिपोटर -ब्यूरो रिपोट

स्थान -देहरादून

देश के सर्वोच्च बलिदान देने वाले फाइटर पायलट कमांडर निशांत सिंह की मां नौसेना की अनदेखी से नाराज है। मां का इकलौता सहारा कमांडर निशांत सिंह का 26 नवंबर को 2020 को प्लेन क्रेश हो गया था। भारतीय नौसेना के कमांडर निशांत सिंह को मरणोपरांत नौसेना पदक मिलने की खबर भी उनकी मां को मीडिया के माध्यम से ही पता चली। अब आज विशाखापट्टनम बेटे की याद में होने वाले कार्यक्रम की सूचना तो मिली लेकिन देर से हद तो यह है की फोन से सूचना देने वाले ने दुबारा उनका फोन नही उठाया । नौसेना की अनदेखी से नाराज मां प्रोमिला की आंखें एक बार फिर नम हो गईभावुक होकर बोलीं, बेटे को खोने का गम तो कभी दूर नहीं हो सकता लेकिन उसकी बहादुरी और शहादत मुझे गर्व का अहसास कराती है। कहती हैं, बेटे की तस्वीर एक पल भी आंखों के सामने से ओझल नहीं होती।बाइट प्रोमिला स्वर्गीय कमांडर निशांत की मांशहीद कमांडर निशांत सिंह की मां प्रोमिला चौधरी देहरादून के सहस्रधारा रोड पर रहती हैं। अपने बेटे की बहादुरी के किस्से सुनाकर वह गौरवान्वित हो उठती हैं। वीआईपी न्यूज ब्यूरो चीफ विक्रम श्रीवास्तव से बातचीत में बताया कि उनके इकलौते बेटे कमांडर निशांत सिंह भारतीय नौसेना में मिग-29 के पायलट थे। उनके पास कई घंटों की उड़ान का अनुभव था।वह नौसेना के युवा पायलट को ट्रेनिंग भी देते थे। 26 नवंबर 2020 को वह अपने को पायलट के साथ सार्टी के लिए निकले थे। तभी अरब सागर में उनका प्लेन क्रैश हो गया। हादसे में कमांडर निशांत सिंह शहीद हो गए। करीब 11 दिनों की तलाश के बाद कमांडर निशांत का शव अरब सागर में मिला। 12 दिसंबर को उनका अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ किया गया था। अब 25 जनवरी को उन्हें मरणोपरांत नौसेना मेडल से सम्मानित करने का एलान किया गया है।प्रोमिला चौधरी कहती हैं, बेटा उनके लिए सबसे बड़ा पुरस्कार था। दुनिया का कोई भी पुरस्कार बेटे की मौत का गम दूर नहीं कर सकता। विमान क्रैश होने से एक दिन पहले ही निशांत ने कहा था कि उसे छुट्टी मिल गई है। वह देहरादून आने वाला है। बेटा तो नहीं आया, पर उसकी मौत की खबर ने उनके जीने का इकलौता सहारा भी छीन लिया।

प्रोमिला बताती हैं, मौत से चार महीने पहले ही बेटे की शादी हुई थी। वह देहरादून में अकेली रहती थीं तो बेटा अपने पास बुलाता था। इस पर वह कहती थीं कि पूरी जिंदगी तेरे पास ही रहना है। उन्हें क्या पता था कि बेटा इस तरह छोड़कर चला जाएगा।प्रोमिला के पति नौसेना में इंजीनियर थे। निशांत दो साल की उम्र में ही आसमान में हेलीकॉप्टर उड़ते देख कहते थे कि वह पायलट बनेंगे। 12वीं से पहले ही निशांत का नौसेना में चयन हो गया था। उनकी शुरुआती पढ़ाई मुंबई से हुई। इसके बाद परिवार कुछ साल के लिए गोवा शिफ्ट हो गया था। निशांत ने हाईस्कूल और इंटर की पढ़ाई विशाखापट्टनम से की थी।26 नवंबर 2020 को जब वह अपने को-पायलट के साथ सॉर्टी के लिए निकले थे, तभी उनका विमान अरब सागर में क्रैश हो गया। इस दौरान कमांडर निशांत सिंह शहीद हो गए। हालांकि उन्होंने अपनी सूझबूझ और सैन्य साहस का परिचय देते हुए अपने को पायलट की जान बचा ली थी।कमांडर निशांत सिंह को कुल 1500 घंटे से अधिक के उड़ान का अनुभव था। 26 नवंबर 2020 को अधिकारी ने Mig-677 में उड़ान भरी थी। उनके साथ उनके एक ट्रेनी को-पायलट भी थे। शाम करीब 4:27 पर कमांडर निशांत सिंह ने सॉर्टी के लिए INS विक्रमादित्य से उड़ान भरी थी। अचानक से उनका विमान कंट्रोल से बाहर हो गया और वह सीधे नीचे की ओर गिरने लगा।

जब कमांडर निशांत सिंह ने देखा कि उनका विमान अब कंट्रोल से बाहर चला गया है, तब उन्होंने आखिरी समय में विमान से इजेक्ट होने का फैसला किया। सबसे पहले कमांडर निशांत सिंह ने अपने को-पायलट को विमान से इजेक्ट (चेटवुड मोटो) होने का आदेश दिया। उनका साथी पायलट विमान से बाहर निकला, इसके बाद उन्होंने भी विमान से बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन तब तक उनका विमान अरब सागर में क्रैश कर चुका था। इस दौरान कमांडर निशांत सिंह ने अपने सैन्य शक्ति और साहस का प्रदर्शन करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था।