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रिपोट – ब्यूरो रिपोट
चैत्र नवरात्रि हिंदुओं के लिए बहुत ही पवित्र पर्व है। नवरात्रि मां दुर्गा के 9 रूपों कि पूजा होती है, जिसमें 7वानें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है कालरात्रि माता का रूप सबसे भयावह माना जाता है। मां कालरात्रि का जन्म राक्षसों के विनाश के लिए हुआ था। उन्हें शुभंकारी भी कहा जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वह शुभ समाचार लाती हैं। आइए जानें मां कालरात्रि का जन्म कैसे हुआ
देवी के इस स्वरूप को संकट से बचाने वाला माना जाता है। माता जीवन के कष्ट, भूत-प्रेत का भय और कष्टों को दूर करती हैं। रात्रि के समय माता कालरात्रि की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन रक्तबीज का नाश करने वाले शुंभ ने निशुंभ के साथ मिलकर कालरात्रि का रूप धारण किया था। मां के मंत्र का जाप करना अत्यंत शुभ होता है। मां कालरात्रि का रंग काला है। आपको बता दें कि माता रानी की पसंदीदा प्रसाद, मंत्र और आरती।
ऐसा है मां कालरात्रि का स्वरूप
मां कालरात्रि गधे पर विराजमान रहती हैं। उनकी तीन आंखें और चार भुजाएं हैं। काँटे, तलवारें और लोहे के हथियार माँ की गोद की शोभा बढ़ाते हैं। मां कालरात्रि का कंठ बिजली की तरह चमक उठा।
देवी के इस रूप को शुभंकरी के नाम से भी जाना जाता है। माँ भूत, प्रेत, भय और बुरी शक्तियों का नाश करती हैं। कालरात्रि पूजा को निरर्थक माना गया है। माता भय, शोक और पीड़ा का नाश करती हैं।
मां कालरात्रि भोग
महासप्तमी के दिन मां कालरात्रि को गुड़ या गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाना पसंद है। इनमें गुड़ चिल्ला, मालपुआ और पकौड़ा शामिल हैं। इन्हें अर्पित करने से देवी मां संतुष्ट हुईं। वह अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं।