पानी की वजह से घरों मे पडी दरारें, तीन तीन बार हो चुका है भूगर्भीय सर्वेक्षण लेकिन आज तक नही हुई कार्रवाई

पानी की वजह से घरों मे पडी दरारें, तीन तीन बार हो चुका है भूगर्भीय सर्वेक्षण लेकिन आज तक नही हुई कार्रवाई

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रिपोर्टर – दीपक नौटियाल

स्थान – उत्तरकाशी

जनपद उत्तरकाशी का मस्ताडी गांव जहां 1998 तत्कालीन उत्तरप्रदेश के समय गांव मे लोगो के घरों से पानी निकला सुरू हुवा गांव के लोगों के घरों के आंगनों मे दरारें पडनी सुरू हुई आनन-फानन मे जिला प्रशासन की आपदा प्रबंधन की टीम गांव पहुती है ओर गांव का भूगर्भीय सर्वेक्षण के लिए उच्च अधिकारियों को लिखती है गांव का भूगर्भीय सर्वेक्षण होता है पर रिपोर्ट सार्वजनिक नही होती

समय बदला राज्य भी बदला पर इनकी स्थिति बदतर होती गयी यहां के लोगों को उम्मीद थी कि उत्तराखंड बनने के बाद सरकार इनकी सुध लेगी पर ये उम्मीद केवल उम्मीद तक खत्म हो गयी विगत वर्षों में ग्रामीणों द्वारा खेतों में टेंट लगाकर कई दिनों तक अपना गुजर – वसर भी किया गया l

हालात अभी भी ग्रामीणों के पूर्व की भांति जस के तस बने हुए हैं l स्थितियां इतनी गंभीर हो चली है की ग्रामीणों को बरसात में भयावह मंजर डरा जाते है l बस ग्रामीण इसी आस के सहारे अपने छोटे – छोटे बच्चों के साथ जीवन यापन कर रहे हैं कि आखिर सत्ता में काबिज हुक्मरान उन्हें अन्यत्र विस्थापित जरूर करेंगे

कुछ ही महीनों पहले यहां के ग्राम प्रधान ने आमरण अनशन ओर ग्रामीणों ने एक सप्ताह तक क्रमिक भूख हड़ताल भी की थी पर कोरे आश्वासन देकर भूगर्भीय जाच की बात की गयी टीम गांव मे पहूंची पर आज तक रिपोर्ट नही आई जिसके कारण गांव मे कोई भी नव निर्माण नही हो पा रहा है ऐसे मे ग्रामीण जाएं तो जाएं कहां फिलहाल ग्रामीणों ने फैसला लिया है कि आने वाले नये साल मे दुबारा से भूख हड़ताल की जाएगी