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रिपोटर – ब्यूरो रिपोट
स्थान – नैनीताल
उत्तराखंड के सिंचाई विभाग में नैनीताल के बनियानाला की सुरक्षा दीवार के निर्माण के लिए निकाले गए टेंडर में अनियमितता सामने आई है। मामला राज्य के मुख्य सचिव के साथ ही कोर्ट तक पहुंच गया है। बताया जा रहा है कि सिंचाई विभाग ने टेंडर को निकाला लेकिन टेंडर भरने वाली सभी कंपनियों से दस्तावेज जमा कराने की जगह कुछ खास चहेतों के ही दस्तावेज जमा कराए।
जमा करानी थी हार्ड कॉपी
दरअसल सिंचाई विभाग की हल्दवानी डिवीजन ने चार सितंबर को नैनीताल के बनियानाल के लिए फ्रगाइल स्लोप निर्माण और अन्य कार्यों के लिए एक ई टेंडर निकाला। इस टेंडर की अंतिम तिथि 30 सितंबर थी। इस टेंडर की शर्त के अनुसार ई टेंडर में सबमिट किए गए सभी दस्तावेजों की एक हार्ड कॉपी उसी दिन ग्यारह बजे तक विभाग के दफ्तर में उपलब्ध करानी थी।इस टेंडर को भरने वाली कंपनियां दस्तावेज की कॉपी लेकर सुबह दस बजे विभाग के दफ्तर में पहुंच गईं। आरोप है कि दफ्तर में दस बजे कोई सक्षम अधिकारी नहीं था जो ये दस्तावेज लेता। वहां मौजूद कर्मचारियों ने कंपनियों के प्रतिनिधियों को अधिकारियों के आने का इंतजार करने के लिए कहा।
एक-दो के लिए बाकी को चलता किया
बताया जा रहा है कि जब अधिकारी आए तो उन्होंने एक-दो कंपनियों के दस्तावेज लिए और अन्य कंपनियों के दस्तावेज लेने से मना कर दिया। न लेने के पीछे समय खत्म होने का हवाला दिया गया। दस्तावेज न जमा होने के चलते कई कंपनियां इस टेंडर से फिलहाल बाहर हो जाएंगी।वहीं अब टेंडर डालने वाली एक कंपनी ने राज्य सिंचाई विभाग के इंजीनियर इन चीफ को पत्र लिखा है और कार्रवाई की मांग की है। इसके साथ ही राज्य के मुख्य सचिव और सिंचाई विभाग के सचिव को भी पत्र लिखा गया है। इस पत्र की कॉपी हमारे पास है।
‘खेल’ पुराना है
आरोप है कि सरकारी विभाग अपने चहेतों को टेंडर दिलाने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाते रहते हैं। बड़ी और कंप्टीटिंग रेट देने वाली कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है जबकि चहेतों को औने-पौने दामों में काम एलॉट कर दिया जाता है। बड़ा सवाल यही है कि कहीं यहां भी तो यही खेल नहीं हो रहा है।