बद्रीनाथ धाम में फूटा जन आक्रोश: ‘उत्तराखंड सरकार होश में आओ’ के नारों से गूंजा भू बैकुंठ धाम

बद्रीनाथ धाम में फूटा जन आक्रोश: ‘उत्तराखंड सरकार होश में आओ’ के नारों से गूंजा भू बैकुंठ धाम

बद्रीनाथ, 4 अगस्त

जहां आम दिनों में भगवान श्री हरि नारायण के जयकारे और शंखनाद की ध्वनि गूंजती है, वहीं आज बद्रीनाथ धाम का मुख्य बाजार ‘उत्तराखंड सरकार होश में आओ’ के नारों से गूंज उठा।

बद्रीश संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले बद्रीनाथ धाम में स्थानीय कारोबारियों, पंडा समाज, होटल व्यवसायियों और माणा घाटी के ग्रामीणों ने मिलकर सरकार के खिलाफ जन आंदोलन की शुरुआत की।

आंदोलन की अगुवाई कर रही समिति का कहना है कि प्राधिकरण गठन के बाद से स्थानीय लोगों को लगातार उपेक्षा और परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन शासन-प्रशासन से कई दौर की वार्ता और पत्राचार के बावजूद सिर्फ आश्वासन ही मिला है, समाधान नहीं।

आज की जन आक्रोश रैली में भारी बारिश के बावजूद सैकड़ों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरे, हाथों में स्लोगन लिखी तख्तियां लेकर उन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने निर्माणाधीन अराइवल प्लाजा के समीप एकत्र होकर अपनी मांगों के समर्थन में धरना प्रदर्शन किया।

प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें:

  • प्राधिकरण के फैसलों में स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए
  • स्थानीय कारोबार, होटल व्यवसाय और पारंपरिक व्यवसायों को संरक्षण मिले
  • पुनर्वास, मुआवजा और अधिकारों पर स्पष्ट नीति लाई जाए
  • पर्यटन विकास कार्यों में पारदर्शिता और स्थानीय हितों को प्राथमिकता

संघर्ष समिति के प्रवक्ता ने चेतावनी दी कि “अगर समय रहते सरकार हमारी मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लेती है तो यह आंदोलन केवल बद्रीनाथ तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि चारों धामों तक फैलेगा।”

बद्रीनाथ धाम में लंबे समय बाद इतना व्यापक संगठित विरोध प्रदर्शन देखने को मिला है। यह आंदोलन सिर्फ एक स्थानीय असंतोष नहीं, बल्कि सरकार की परियोजनाओं में स्थानीय सहभागिता की कमी पर बड़ा सवाल बनकर उभरा है।

अब देखना यह होगा कि क्या उत्तराखंड सरकार इस बढ़ते जन आक्रोश को शांत करने के लिए संवाद की पहल करती है या आंदोलन और उग्र रूप लेता है।