
हरिद्वार
धर्म और आस्था की नगरी हरिद्वार में फर्जी बाबाओं के खिलाफ पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। ऑपरेशन ‘कालनेमि’ के तहत अब तक 1800 से अधिक साधु-संतों का वेरिफिकेशन किया गया है, जिसमें 187 बाबाओं को फर्जी पाया गया। इन पर भारतीय न्याय संहिता (BNS एक्ट) और पुलिस एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई की गई है।


यह पूरा अभियान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर चलाया जा रहा है, जिसके तहत एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोभाल के नेतृत्व में हरिद्वार जिले के सभी थाना क्षेत्रों में संदिग्ध बाबाओं की जांच-पड़ताल की जा रही है।


ऑपरेशन ‘कालनेमि’: ढोंगियों की अब खैर नहीं
ऑपरेशन ‘कालनेमि’ का नाम ही उस पौराणिक पात्र से लिया गया है जो साधु का रूप धरकर श्रीराम के अनुचर हनुमान को धोखा देना चाहता था। इस अभियान के ज़रिए पुलिस उन सभी ढोंगी बाबाओं की पहचान और धरपकड़ में जुटी है, जो धर्म के नाम पर लोगों को गुमराह कर रहे हैं।


बाहर से आने वालों पर कड़ी नजर
पुलिस ने बाहर से हरिद्वार आने वाले संदिग्ध साधु-संतों पर विशेष निगरानी बढ़ा दी है। होटलों, धर्मशालाओं और आश्रमों में ठहरने वाले बाबाओं की स्थानीय पते, पहचान और धार्मिक गतिविधियों का सत्यापन किया जा रहा है।

एसएसपी डोभाल ने बताया,
“हरिद्वार में धर्म के नाम पर किसी भी प्रकार का फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह पवित्र नगरी है और इसकी गरिमा बनाए रखना हम सबका दायित्व है।”

साफ संदेश: आस्था के नाम पर व्यापार बंद हो
प्रशासन का कहना है कि यह अभियान भविष्य में भी जारी रहेगा। सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है — हरिद्वार की धार्मिक प्रतिष्ठा और श्रद्धालुओं की आस्था की रक्षा करना।

मुख्यमंत्री धामी ने भी कहा है कि,
“जो धर्म के नाम पर लोगों को ठगते हैं, उनके लिए उत्तराखंड में कोई जगह नहीं है।”

