
रिपोर्टर नाम-: आसिफ इक़बाल
लोकेशन-: रामनगर
रामनगर का सरकारी चिकित्सालय, जो लंबे समय से अव्यवस्थाओं और विरोध प्रदर्शनों का केंद्र बना हुआ था, आज से पूरी तरह से सरकारी नियंत्रण में आ गया है। नैनीताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. हरीश पंत ने स्वयं अस्पताल का निरीक्षण किया और हैंडओवर प्रक्रिया को पूरा किया। उन्होंने अस्पताल की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं।

2020 में कोविड महामारी के दौरान इस अस्पताल को तीन वर्षों के लिए एक निजी संस्था को पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर सौंप दिया गया था, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार था। हालांकि, इसके परिणामस्वरूप अस्पताल में अव्यवस्थाओं का दौर शुरू हो गया था। पीपीपी मोड के बाद अस्पताल में प्रशिक्षित डॉक्टरों की कमी, संसाधनों की खराब स्थिति और चिकित्सा सेवाओं में गिरावट देखने को मिली। इस स्थिति के कारण स्थानीय लोग और राजनीतिक दल इसे फिर से सरकारी बनाने की मांग करने लगे।


अस्पताल में बढ़ती समस्याओं के कारण कई बार धरना-प्रदर्शन हुए, जिसमें स्थानीय जनता और लैंसडाउन विधायक महंत दिलीप सिंह रावत जैसे नेता भी शामिल हुए। एक महत्वपूर्ण घटना पिछले वर्ष हुई जब अल्मोड़ा के मर्चूला क्षेत्र में एक भीषण बस दुर्घटना के बाद कई घायलों को रामनगर अस्पताल में लाया गया। लेकिन अस्पताल में बेहतर सुविधाओं के अभाव में उन्हें अन्य अस्पतालों में रेफर करना पड़ा। इस घटना के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने यह घोषणा की थी कि रामनगर अस्पताल को पीपीपी मोड से हटाया जाएगा।
हालांकि, निकाय चुनाव के चलते पीपीपी अनुबंध को तीन महीने का अतिरिक्त विस्तार दिया गया, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई थी। कई भाजपा नेताओं पर पीपीपी मोड को संरक्षण देने के आरोप लगे, और इसका असर स्थानीय निकाय चुनावों में भी देखा गया, जिसमें भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद सरकार ने स्पष्ट संकेत दिए कि अस्पताल को अब पीपीपी मोड से हटाया जाएगा।


सरकार द्वारा अस्पताल का हैंडओवर किए जाने के बाद, डॉ. हरीश पंत ने अस्पताल का निरीक्षण किया और व्यवस्थाओं को ठीक करने के लिए निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि अस्पताल में चिकित्सकों, स्टाफ नर्सों और अन्य कर्मचारियों की तैनाती कर दी गई है और डॉक्टरों की कमी को जल्द पूरा करने की प्रक्रिया जारी है। इसके अलावा, अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति की जाएगी और चिकित्सा सुविधाओं में बढ़ोतरी कर इसे एक मॉडल हॉस्पिटल के रूप में विकसित किया जाएगा।
रामनगर अस्पताल के फिर से सरकारी होने की खबर से स्थानीय लोग बेहद खुश हैं। उनका कहना है कि पीपीपी मोड में यहां प्रशिक्षित डॉक्टरों की बजाय अनुभवहीन लोग तैनात थे, जिससे इलाज में कठिनाई होती थी। अब अनुभवी डॉक्टरों की तैनाती से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा और क्षेत्र की जनता को इसका लाभ मिलेगा।


