छिपला केदार उत्सव धारचूला के स्याकुरीं मेंतीन वर्ष के बाद

छिपला केदार उत्सव धारचूला के स्याकुरीं मेंतीन वर्ष के बाद

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रिपोटर -नदीम परवेज़

स्थान -धारचूला

छिपला मेला एक पारम्परिक सांस्कृतिक धार्मिक मेला है . इस यात्रा में नंगे पैर यात्रा करनी पड़ती है जगह जगह पर देवी देवताओ के पाट ( थान ) होते है रास्ता दुर्गम कठिन होता है पुराने समय से ही रास्ते की जगह पर ऊँचे ऊँचे पत्थर खडे किये जाते थे उन्हीं निशानों को देखकर रास्ते का अनुमान लगाया जाता था।

रास्ते भर पूजा अर्चना करते करते 35किलोमीटर की यात्रा कर छिपला कुण्ड पहुँचते है पूजा पाठ ध्यान स्नान कर भक्त लोग ब्रहम कुण्ड की वापसी करते है कुछ भक्त छिपला कुण्ड से और आगे पटौज कुण्ड काकरौल कुण्ड जौली भनार से होते हुए ब्रहम कमल नाजुरीफूल तोड़ते हुए बरहम कुण्ड की ओर आते है

वास्तव में पृथ्वी में स्वर्ग है तो यहीं हैं कहा भी गया है कि देवतात्मा हिमालय । यह हर तीसरे वर्ष लगने वाला मेला है स्थानीय अतिथियों के साथ नेपाल के लोग भी उक्त मेले में आते हैं।