यश इवेंट मैनेजमेंट द्वारा आगामी 22 दिसंबर को उत्तराखंड के रामनगर में उत्तराखंड द्रोणा रत्न अवार्ड सम्मान समारोह का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें अपने-अपने क्षेत्र में नाम कमाने वाले लोगों कोइस अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। यह जानकारी देते हुए यश इवेंट एंड मैनेजमेंट के डायरेक्टर विशाल शर्मा ने बताया कि इस बार उत्तराखंड सम्मान समारोह का छठा एपिसोड है।जिसमें उत्तराखंड के उन चेहरों को सम्मान दिया जाएगा। जिन्होंने अपने क्षेत्र में बड़ा नाम कमाया है। सामाजिक कार्य से लेकर राजनीति तक, खेल के मैदान से लेकर संस्कृति तक हर क्षेत्र में यह अवार्ड प्रतिभाओं को दिया जा रहा है। विशाल शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम में महाभारत में द्रोणाचार्य का कैरेक्टर प्ले करने वाले एक्टर सुरेंद्र पाल सिंह और मॉडल एवं बॉलीवुड एक्टर एलिना तनेजा सभी प्रतिभाओं को सम्मानित करेगी।
यह इवेंट जिम कॉर्बेट ढिकुली रामनगर में में आयोजित किया जाएगा। इस इवेंट का डिजिटल मीडिया पार्टनर पहाड़ प्रभात है, जो डिजिटल दुनिया में अपनी बड़ी पहचान बना चुका है। उन्होंने बताया कि पहला अवॉर्ड घोड़ा लाइब्रेरी चलाने वाले शुभम बधानी को दिया जायेगा। जो वाकई में इस अवॉर्ड के असल हकदार है। जानिए कौन है शुभम बधानी…बता दे कि नैनीताल जिले के कोटाबाग के आंवलाकोट निवासी शुभम बधानी ने बताया कि वह हिमोत्थान संस्था के लाइब्रेरी कार्डिनेटर व संकल्प यूथ फाउंडेशन संस्था के अध्यक्ष हैं। नैनीताल की ‘घोड़ा लाइब्रेरी’ ने ग्रामीण शिक्षा को नई दिशा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ के 105वें एपिसोड में इस लाइब्रेरी का उल्लेख करते हुए इसकी सराहना की। यह पहल उत्तराखंड के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में शिक्षा का प्रकाश फैलाने का एक अभिनव प्रयास है।
‘घोड़ा लाइब्रेरी’ की शुरुआत
इस लाइब्रेरी की स्थापना शुभम बधानी ने की, जो ग्रामीण बच्चों को शिक्षा का लाभ देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका उद्देश्य उन क्षेत्रों तक पुस्तकें पहुंचाना है, जहां परंपरागत साधनों से शिक्षा पहुंचाना चुनौतीपूर्ण है। दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में सड़कों की अनुपलब्धता के कारण घोड़ों का इस्तेमाल पुस्तकें ले जाने और लाने के लिए किया जाता है।
कैसे काम करती है ‘घोड़ा लाइब्रेरी’?
इस साल 12 जून को शुरू हुई ‘मोबाइल हॉर्स लाइब्रेरी’ किताबों को एक साप्ताहिक चक्र में बच्चों तक पहुंचाती है। घोड़ों के माध्यम से किताबें ग्रामीण क्षेत्रों में भेजी जाती हैं। एक सप्ताह बाद ये किताबें वापस ली जाती हैं और नई किताबें वितरित की जाती हैं। यह प्रक्रिया न केवल पढ़ने की आदत को बढ़ावा देती है, बल्कि बच्चों को विभिन्न विषयों पर जानकारी प्राप्त करने का अवसर भी देती है।
ग्रामीण बच्चों के लिए एक नई खिड़की
शहरी क्षेत्रों में जहां इंटरनेट, पुस्तकालय और अन्य संसाधन आसानी से उपलब्ध हैं, वहीं ग्रामीण बच्चों के लिए शिक्षा के साधन सीमित हैं। ‘घोड़ा लाइब्रेरी’ इन बच्चों के लिए बाहरी दुनिया के दरवाजे खोलने का काम कर रही है। यह पहल उन बच्चों को किताबें उपलब्ध कराती है जो इंटरनेट, टीवी या अन्य डिजिटल माध्यमों से दूर हैं।
एक प्रेरणादायक अभियान
‘घोड़ा लाइब्रेरी’ ने साबित किया है कि कठिन परिस्थितियों में भी यदि समर्पण और नवीनता हो, तो बदलाव लाया जा सकता है। इस मॉडल को अन्य राज्यों और देशों में भी अपनाया जा सकता है, जहां शिक्षा के लिए भौगोलिक और आर्थिक बाधाएं हैं। यह न केवल शिक्षा के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि सामाजिक उत्थान के लिए सामुदायिक प्रयासों की शक्ति भी दर्शाता है। घोड़ा लाइब्रेरी’ शिक्षा और सेवा का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो हमें सिखाती है कि साधन सीमित हो सकते हैं, लेकिन सपने और जज्बा असीमित होते हैं।