आजादी के बाद से लेकर अब तक जानें कितनी बार हुए हैं लोकसभा चुनाव, क्या रहे परिणाम?

आजादी के बाद से लेकर अब तक जानें कितनी बार हुए हैं लोकसभा चुनाव, क्या रहे परिणाम?

उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सबसे पहले खबरें जानने के लिए हमारे न्यूज़ चैनल. News Portal uk को सब्सक्राइब करें .ख़बरों और विज्ञापन के लिए संपर्क करें – 9634912113,- 8057536955 न्यूज़ पोर्टल, उत्तराखंड के यूट्यूब चैनल में सभी विधान सभा स्तर पर संवाददाता\विज्ञापन संवाददाता, ब्यूरो चीफ की आवश्यकता है

रिपोट – ब्यूरो रिपोट

भारतीय चुनाव आयोग शनिवार को आगामी लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दिया है. साल 1952 में हुए लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक कुल 17 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं और 18वें चुनाव का शंखनाद हो गया है. अंग्रेजों से देश की आजादी के बाद पहली बार लोकसभा के लिए आम चुनाव 1951-52 में हुए थे. आइए आज जानते हैं कि भारत में आजादी से लेकर अब तक हुए लोकसभा के चुनावों के परिणाम क्या रहे.भारतीय चुनाव आयोग शनिवार को आगामी लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा हो गई है. साल 1952 में हुए लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक कुल 17 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं और 18वें चुनाव का शंखनाद हो गया है.

अंग्रेजों से देश की आजादी के बाद पहली बार लोकसभा के लिए आम चुनाव 1951-52 में हुए थे. इस चुनाव में लोकसभा की 489 सीटों के लिए वोट डाले गए थे. इसमें कांग्रेस को 364 सीटें मिली थीं, जबकि जनसंघ को तब केवल 3 सीटों से संतोष करना पड़ा.साल 1951-52 में पहली बार लोकसभा के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस एकतरफा जीती थी तो पिछले दो चुनावों में यही स्थिति भाजपा की रही. आइए आज जानते हैं कि आजादी के बाद से अब तक भारत में हुए लोकसभा के चुनावों के परिणाम क्या रहे.

पहले चुनाव में कांग्रेस बनी थी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी

पहली बार लोकसभा के लिए हुए आम चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनकर उभरी थी. वामपंथियों को 27, समाजवादियों को 12 और जनसंघ को तीन सीटें मिली थीं. इसी जनसंघ से निकले लोगों ने बाद में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की थी. साल 1957 में 494 सीटों के लिए हुए चुनाव में भी कांग्रेस ही सबसे आगे रही और उसे 371 सीटें मिलीं. वामपंथियों को 27, समाजवादी को 19 और जनसंघ ने चार सीटें जीती थीं. सन् 1962 में 494 सीटों के लिए हुए तीसरे चुनाव में कांग्रेस को 361, वामपंथियों को 29, प्रजा समाजवादी को 12 और जनसंघ को 14 सीटें हासिल हुई थीं.पांचवें चुनाव तक बरकरार रहा कांग्रेस का जलवाचौथा चुनाव साल 1967 में 520 सीटों के लिए कराया गया था, जिसमें कांग्रेस आगे तो रही पर उसकी सीटें तीन सौ के नीचे आ गईं और उसे 283 सीटों पर जीत मिली थी. धीरे-धीरे आगे बढ़ रही जनसंघ को 35 सीटों पर जीत हासिल हुई. वहीं, वामपंथी दलों में सीपीआई को 23 और सीपीएम को 19 सीटों पर विजय मिली थी. प्रजा समाजवादी के प्रत्याशी 13 सीटों पर जीते थे. 518 सीटों के लिए साल 1971 में हुए पांचवें चुनाव में कांग्रेस ने फिर बड़ा हाथ मारा और उसे 352 सीटें मिलीं. सीपीएम को 25, सीपीआई को 24, डीएमके को 23 और जन संघ को 21 सीटों पर जीत मिली थी.

1977 में जनता पार्टी ने दी थी कांग्रेस को पटखनी

आजादी के बाद से पांचवें लोकसभा चुनाव तक सबसे बड़ी पार्टी बनी रही कांग्रेस को साल 1977 के चुनाव में जनता पार्टी ने बुरी तरह पटखनी देकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. इसमें कांग्रेस को केवल 154 सीटें मिलीं, जबकि जनता पार्टी ने 542 में से 298 सीटों पर जीत हासिल की थी. हालांकि, 1980 में हुए अगले ही चुनाव में कांग्रेस फिर सत्ता में आ गई और उसे 353 सीटों पर विजय हासिल हुई. जनता (सेक्युलर) को 41, सीपीएम को 36, सीपीआई को 11 और डीएमके को 16 सीटें मिली थीं.

इंदिरा की हत्या के बाद कांग्रेस को राजनीतिक करियर की सबसे बड़ी जीत मिली

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद साल 1984 में हुए चुनाव में कांग्रेस को आम लोगों की ऐसी सहानुभूति मिली की उसने अपने राजनीतिक करियर की सबसे बड़ी जीत दर्ज करते हुए 415 सीटें हासिल कर लीं. तब तक भाजपा का गठन हो चुका था और इस चुनाव में उसने भी 2 सीटें जीती थीं. टीडीपी को 28, सीपीएम को 22, सीपीआई को छह सीटें हासिल हुई थीं. 1989 में कांग्रेस को 197, जनता दल को 141, भाजपा को 86, सीपीएम को 32, सीपीआई को 12 और टीडीपी को दो सीटें मिलीं. 1991 में कांग्रेस को 232, भाजपा को 119, जनता दल को 59, सीपीएम को 35, सीपीआई को 13 और टीडीपी को भी इतनी ही सीटें मिलीं.11वें चुनाव में पहली बार भाजपा बनी सबसे बड़ी पार्टीसाल 1996 में हुए ग्यारहवें लोकसभा चुनाव के दौरान पहली बार भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और उसे 161 सीटें मिलीं. कांग्रेस को 140, जनता दल को 46, सीपीएम को 32, समाजवादी पार्टी को 17, टीडीपी को 16, सीपीआई को 12 और बसपा को 11 सीटें मिली थीं. अगला चुनाव 1998 में हुआ तो भी भाजपा ही सबसे बड़ी पार्टी थी. उसे 182, कांग्रेस को 141 सीटें मिलीं. वहीं, सीपीएम को 32, सपा को 20, टीडीपी को 12, सीपीआई को नौ और बसपा को पांच सीटें मिली थीं.13वें लोकसभा चुनाव में भी भाजपा की स्थिति बरकरार रही और उसे 1999 में 182 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस 114 सीटों पर सिमट गई थी. 2004 में कांग्रेस की स्थिति थोड़ी सुधरी और उसने 145 सीटें हासिल कीं, जबकि भाजपा 138 सीटों पर ही जीत सकी थी. 2009 के चुनाव में कांग्रेस को 206 और भाजपा को 116 सीटें मिली थीं.

2014 में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई भाजपा

2014 में लोकसभा का 16वां आम चुनाव शुरू हुआ तो प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी का नाम आगे बढ़ाया जा चुका था. इस पर भाजपा ने 543 में से 282 सीटें हासिल कर लीं. कांग्रेस 44 सीटों तक सिमट गई. एआईडीएमके ने 37 और टीएमसी ने 34 सीटें हासिल की थीं. 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने 17वें आम चुनाव में फिर प्रचंड बहुमत से वापसी की और उसे 303 सीटों पर विजय प्राप्त हुई. कांग्रेस को 52 सीटें मिली थीं.