किच्छा में केसर की भूमि पर अवैध प्लाटिंग का खेल हुआ शुरू, प्रशासन मौन।

किच्छा में केसर की भूमि पर अवैध प्लाटिंग का खेल हुआ शुरू, प्रशासन मौन।

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रिपोर्ट – , राजू सहगल।
स्थान – , किच्छा।

किच्छा तहसील अंतर्गत केसर इंटरप्राइजेज की विवादित भूमि पर बड़ा खेल होता नजर आ रहा है। चकबंदी विभाग द्वारा विवादित भूमि की खरीद फरोख्त पर रोक लगाए जाने के बावजूद बाकायदा कार्यालय खोलकर प्लाट बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पूरा मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है और अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आरोप है कि कुछ अधिकारियों से सांठ गांठ कर सरकारी चक रोड, नाला एवं गूल तथा वर्ग 4 की भूमि पर अवैध आवासीय कॉलोनी काटकर सरकार को लाखों रुपए का चूना लगाया जा रहा है।

शिकायतकर्ता ने जिलाधिकारी एवं विकास प्राधिकरण को लिखित शिकायत कर पूरे मामले की जांच कर कॉलोनाइजर के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की है। जिलाधिकारी उधम सिंह नगर एवं विकास प्राधिकरण को लिखित शिकायत देते हुए शिकायतकर्ता हिमांशु पांडे ने आरोप लगाया कि किच्छा के हल्द्वानी मार्ग बंडिया ग्राम में खुरपिया फॉर्म की जमीन खाता संख्या 223 कुल रकबा 4.90 हेक्टेयर जोकि मैंसर्स केसर शुगर वर्क्स (बहेड़ी) के नाम दर्ज है, यह जमीन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स के सैटेलाइट सेंटर के निकट होने के चलते फ्रिज जोन में आती है

तथा 22 फरवरी 2023 को जारी शासनादेश के अनुसार फ्रिज जोन में समस्त प्रकार के निर्माण व विकास कार्य गतिविधियां प्रतिबंधित हैं। शिकायतकर्ता के अनुसार खाता संख्या 223 में 4.90 हेक्टेयर जमीन को मैसर्स एलाइड प्लस इंफ्रा एंड अदर्स ने केसर शुगर बहेड़ी से एग्रीमेंट द्वारा वर्ष 2017 में क्रय कर लिया। बताया कि एलाइड प्लस इंफ्रा एंड अदर्स कंपनी का रजिस्ट्रेशन 17 मार्च 2016 में हुआ है तथा उत्तर प्रदेश जमीदारी एवं लैंड रिफॉर्म एक्ट 1950 के उत्तराखंड संशोधन के मुताबिक कोई भी व्यक्ति समिति या कंपनी जोकि 2 सितंबर 2003 से पूर्व उत्तराखंड में किसी भी भूमि का मालिक ना हो, उसके द्वारा कोई भी भूमि उत्तराखंड में क्रय नहीं की जा सकती, जिसके अनुसार जमीन खरीद का किया गया

ग्रीमेंट असंवैधानिक व गैरकानूनी हो जाता है। शिकायतकर्ता के अनुसार जब इस कंपनी का अस्तित्व ही 2016 में रजिस्ट्रेशन के बाद आया है तो 2003 से पहले इस कंपनी का उत्तराखंड में भूमिधर होने का सवाल ही नहीं पैदा होता तथा इस कंपनी के द्वारा किए गए सारे क्रियाकलाप गैरकानूनी हैं। आरोप है कि उपरोक्त एग्रीमेंट के आधार पर इस जमीन का एक अवैध मानचित्र टाउन प्लानर हल्द्वानी से स्वीकृत कराया गया, जिसकी अवधि 3 वर्ष की थी जो कि वर्ष 2020 में समाप्त हो चुकी है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि अवैध रूप से काटी जा रहीआवासीय कॉलोनी में नदी,नाला, चक रोड, गूल व 2 एकड़ वर्ग 4 की भूमि स्थित है, जिस पर अवैध रूप से प्लाटिंग की जा रही है तथा मानचित्र स्वीकृत करने के दौरान सेटिंग गेटिंग के खेल में नदी, गूल, चक्रोड एवं वर्ग 4 की भूमि की अनदेखी की गई तथा वर्तमान में मिट्टी का भरान करते हुए सरकारी भूमि पर अवैध रूप से कब्जा करते हुए अवैध कॉलोनी का हिस्सा बना लिया गया है। शिकायतकर्ता के अनुसार स्वीकृत किए गए मानचित्र के आधार पर रेरा द्वारा 27 दिसंबर 2017 को पंजीकरण जारी किया गया, जिसकी अवधि 27 दिसंबर 2020 को समाप्त हो चुकी है तथा रेरा में इस प्रोजेक्ट का नाम पंचवटी गार्डन रजिस्टर्ड हुआ है। उक्त मानचित्र पर रेरा की आड़ में एलाइड पल्स इंफ्रा एंड अदर्स कंपनी ने कई लोगों को प्लाट बेचते हुए उनसे लाखों रुपए प्राप्त कर लिए ,जबकि आज तक उन लोगों की रजिस्ट्री नहीं हो पाई हैऔर प्लाट खरीदने वाले लोग कई सालों से दर-दर भटक रहे हैं। शिकायत के अनुसार किच्छा बायपास काली मंदिर के निकट काटी गई अवैध कॉलोनी में कोई भी विकास कार्य जैसे सड़क, नाली, पानी, एसटीपी प्लांट, पार्क आदि का कोई भी लाभ न देकर रेरा की समस्त शर्तों व नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया गया

तथा 27 दिसंबर 2020 को रजिस्ट्रेशन समाप्त होने के उपरांत भी रेरा द्वारा 25 प्रतिशत बंधक प्लाटों का भी कब्जा नहीं लिया गया एवं किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं किए जाने से प्रतीत हो रहा है कि रेरा के अधिकारी भी एलाइड कंपनी से मिलीभगत कर अवैध कॉलोनी को संरक्षण दे रहे हैं। शिकायतकर्ता हिमांशु पांडे ने बताया कि खाता संख्या 223 रकबा 4.90 हेक्टेयर जो कि मैंसर्स केसर शुगर वर्क्स बहेड़ी के नाम दर्ज है तथा इस जमीन की मलकियत को लेकर भी केसर शुगर वर्क्स और पन्ना विजय शाह के बीच विवाद चल रहा है तथा पन्ना विजय शाह द्वारा न्यायालय चकबंदी के न्यायालय में वाद संख्या 61 /2022-23 में दर्ज है