उत्तराखण्ड का पहला प्रयाग जहा मां गंगा मां यमुना एवं केदार गंगा का होता है संगम हर साल होता है मेला दूर दूर से प्रतिदिन आते है श्रद्धालू

उत्तराखण्ड का पहला प्रयाग जहा मां गंगा मां यमुना एवं केदार गंगा का होता है संगम हर साल होता है मेला दूर दूर से प्रतिदिन आते है श्रद्धालू

उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सबसे पहले खबरें जानने के लिए हमारे न्यूज़ चैनल. News Portal uk को सब्सक्राइब करें .ख़बरों और विज्ञापन के लिए संपर्क करें – 9634912113,- 8057536955 न्यूज़ पोर्टल, उत्तराखंड के यूट्यूब चैनल में सभी विधान सभा स्तर पर संवाददाता\विज्ञापन संवाददाता, ब्यूरो चीफ की आवश्यकता है

रिपोटर-दीपक नौटियाल

स्थान-उत्तरकाशी

सीमांन्त जनपद उत्तरकाशी जहा मां गंगा यमुना एवं पांडव इतिहास को लेकर भगवान काशी विश्वनाथ की भूमी सहित कही देवताओ की स्थली है जहां भगवान गणेश की जन्म स्थली सहित कही देव तुल्य ऋषियो की तपोभूमी रहा ये क्षेत्र आज भी अपनी संस्कृति के लिए आग्रणिय है

पर यहां आज भी देवताओ का वास है देव भूमी मे मे चम्त्कार होते तो सबने सुना है पर आज प्रत्यक्ष चम्त्कार का उदाहरण है गंगनानी जहां तीन नदियो जो पहली बार टीवी इतिहास मे सबके सामने दिखाई दे रहा है जी हां यह स्थान है यमनोत्री धाम से महज कुछ किलो मिटर दूर गंगनानी जहां गंगा जमुना एवं केदार गंगा जिसे आज विलुप्त हो रखी सर्स्वती नदी के रूप मे देखा जा सकता है यहा तीनो नदियो के संगम को उत्तराखण्ड का प्रयाग कहा जाता है इसके पीछे बडी कहानी है उत्तरकाशी का गंगनानी जहां महर्षी जगदा्म्मी तपस्सा किया करते थे ओर भोले की भक्ती मे विहोर होकर वो प्रतिदिन सुवाह तीन बजे यहां से लगभग 100 से 150 किलो मीटर दूर उत्तरकाशी से यहा प्राता चार बजे जल भरकरकर भगवान शिव का स्नान किया कयते थे

कालान्तर मे उनकी आयू बडती गयी ओर उनकी जगह उनकी पत्नी माता रेणुका यह काम करने लगी समय बीतता गया जब माता रेणुका भी चलने फिरने मे सक्षम नही हो रही थी तो महर्षी जगदाम्य ने मां गंगा से प्रार्थना की कि हे मां गंगा मुझे तो भगवान शंकर का प्रतिदिन स्नान कराना है रास्ता दे उसी दिन मां गांगा ने वचन दिया कि उत्तरकाशी मे अपना कमंडल छोड दो अगले दिन जहां हम कल्पना भी नही कर सकते वहां कमंण्डल के साथ जो टीवी स्क्रिन पर है वहां अदभूत कुण्ड प्रकट हो गया ओर अंतिम समय तक महरषी जग्दमी ने यहां के जल से भगवान शिव का अभिषेक किया

समय बीता विज्ञान का समय आया कही लैवों मे प्रयोग हुए आज प्रत्यक्ष है कि इस स्थान पर जहां बगल से मां यमुना वह रही है साथ ही एक ओर धारा जिसे केदार गंगा कहा जाता है बह रही है तीनो का जल प्रयाग राज के जल से विलकुल मिल रहा है जिलापंचात उत्तरकाशी ने यहां फरवरी मे हर साल मेला भी लगाने का प्रयाश किया पर जिलापंचात कमाई के नाम पर कुछ नही कर पाई समय है अगर उत्तराखंण्ड सरकार इस प्रदेश के पहले प्रयाग को आगे प्रयाजित करे तो चार धाम यात्रा के बाद यह बडा पर्यटन बन सकता है